Oct-2014
Balloon Rocket Making In Hindi – गुब्बारे से रॉकेट बनाना सीखिए
गुब्बारे का रॉकेट बनाना बच्चों के लिए विज्ञान का एक बहुत ही रोचक प्रोजेक्ट है जिसकी मदद से वे न्यूटन के दूसरे और तीसरे सिद्धांत को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं.
गुब्बारे का रॉकेट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री:
- गुब्बारा : 1
- गुब्बारा फुलाने का पंप : 1
- पतंग उड़ाने की डोरी : 25 फीट
- स्ट्रॉ : 1
- चिपकाने की टेप : 1
गुब्बारे से रॉकेट बनाने की विधि : विडियो
गुब्बारे से रॉकेट बनाने के लिए मेरा नीचे दिया गया विडियो देखिये.
गुब्बारे से रॉकेट बनाने की विधि : विस्तार से
1. ठन्डे पेय पीने वाली स्ट्रॉ से करीब ३ इंच का एक टुकड़ा काट लीजिये.
2. इसमें पतंग उड़ाने की डोरी आर-पार डालिए.
3. डोरी का एक सिरा किसी कुर्सी, दरवाजे या खिड़की से बाँध दीजिये.
4. डोरी का दूसरा सिरा २५ फीट दूर स्थित किसी चीज़ जैसे दूसरी कुर्सी, मेज़, दरवाज़े या कुछ ऊंचाई पर स्थित किसी चीज़ से बांधिए ताकि आपका रॉकेट इस डोरी पर दौड़ लगा सके. ध्यान रहे कि डोरी के दोनों सिरे बाँधने के बाद डोरी एकदम कसी हुई रहनी चाहिए.
5. अब गुब्बारा फुला लीजिये.
6. फूले हुए गुब्बारे का मुंह उंगली और अंगूठे से दबा कर बंद करके रखिये ताकि इसकी हवा ना निकले. लेकिन गुब्बारे के मुंह को बाँधना नहीं है.
7. टेप की मदद से फूले हुए गुब्बारे को डोरी में पिरोई हुई स्ट्रॉ पर २-३ जगह चिपका लीजिये.
8. अब गुब्बारे को छोड़ते ही गुब्बारा डोरी पर किसी रॉकेट की तरह दौड़ने लगेगा.
गुब्बारे के रॉकेट के पीछे छिपा विज्ञान:
न्यूटन के दूसरे और तीसरे नियम के मुताबिक़, किसी भी पिंड की संवेग परिवर्तन की दर लगाये गये बल के समानुपाती होती है और उसकी (संवेग परिवर्तन की) दिशा वही होती है जो बल की होती है। तथा प्रत्येक क्रिया के विपरीत और बराबर मात्रा में प्रतिक्रया होती है.
जब गुब्बारे के रॉकेट के मामले में आप हवा से भरा गुब्बारा छोड़ते हैं, तब गुब्बारे के मुंह से आपकी तरफ कुछ वेग से हवा निकलती है. यह हवा इतने ही वेग से विपरीत दिशा में एक बल गुब्बारे पर लगाती है. इस विपरीत दिशा में लगने वाले बल के कारण गुब्बारा आगे की और भागने लगता है. जैसे ही गुब्बारे से हवा निकलनी बंद होती है, वैसे ही गुब्बारे पर हवा द्वारा विपरीत दिशा में लगाया जाने वाला बल भी समाप्त हो जाता है, और गुब्बारा दौड़ना बंद कर देता है.
यहाँ स्ट्रॉ और डोरी का इस्तेमाल केवल गुब्बारे को दिशा देने के लिए किया गया है.
अब आप इसी प्रयोग को अलग-अलग परिस्थितियों के साथ दोहरा कर देखें तो आप परिणाम में कुछ अंतर पायेंगे. उदाहरण के लिए आप यही प्रयोग इसी गुब्बारे को पहले से कम या ज्यादा फुला कर दोहरा सकते हैं, या फिर अलग-अलग आकार के गुब्बारों से भी ये प्रयोग करके देख सकते हैं.
आप हर बार गुब्बारे की गति में अंतर पायेंगे और उसके द्वारा तय की जाने वाली दूरी में अंतर पायेंगे.
ऐसा न्यूटन के दूसरे नियम “किसी भी पिंड की संवेग परिवर्तन की दर लगाये गये बल के समानुपाती होती है और उसकी (संवेग परिवर्तन की) दिशा वही होती है जो बल की होती है (F=ma)” के कारण होता है.
यहाँ उसी गुब्बारे में कम या ज्यादा हवा भरने अथवा अलग-अलग आकार का गुब्बारा लेने पर हवा के द्रव्यमान (m) में अंतर आता है जिसके कारण बल की मात्रा में परिवर्तन आता है जो आपको गुब्बारे की कम या अधिक गति के रूप में दिखाई पड़ता है.
इसी प्रकार आप इसी प्रयोग में गुब्बारे से निकलने वाली हवा के वेग में परिवर्तन लाकर भी परिणाम में अंतर देख सकते हैं.
उदाहरण के लिए यदि आप गुब्बारे का मुंह बाँध दें और फिर इसे छोड़ें तो गुब्बारे की हवा का द्रव्यमान (m) होते हुए भी हवा का कोई त्वरण (a) नहीं होगा क्योंकि बंद गुब्बारे से हवा बाहर ही नहीं निकलेगी. ऐसे बल F शून्य हो जाएगा. तब विपरीत दिशा में भी कोई बल नहीं उत्पन्न होगा और गुब्बारा अपनी जगह रुका रहेगा.
अब यदि आप गुब्बारे का मुंह तो बंद ही रहने दें परन्तु सावधानी से गुब्बारे के गर्दन पर किसी पिन से छोटा सा छेद कर दें जिससे गुब्बारा फूटे भी नहीं और धीरे-धीरे गुब्बारे से हवा निकले तो आप पायेंगे कि गुब्बारे का मुंह पूरा खुला छोड़ने पर जो गति गुब्बारे के रॉकेट को मिलती थी इस बार उससे कम गति से आपका रॉकेट भागता है क्योंकि इस बार त्वरण a शून्य तो नहीं है परन्तु सबसे पहले वाले प्रयोग से कम है. अतः बल F भी कम है. और प्रतिक्रिया में रॉकेट को भागने के लिए मिलने वाला बल भी कम है.
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